पोखरण I और पोखरण II दोनों परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका- आर. चिदंबरम
भारत के परमाणु इतिहास में चिदंबरम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पहला परमाणु परीक्षण, पोखरण।(ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा) सन् 1974 में और दूसरा परीक्षण, पोखरण।।(ऑपरेशन शक्ति) , सन् 1998 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान से PHD किया।
1962 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में शामिल हुए। सन् 1990 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में निदेशक के रूप में नियुक्ति हुए। 1993-2000 तक परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रहे।
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।एपीजे अब्दुल कलाम के बाद देश के दूसरे प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला और 2018 तक इस पद पर रहे।
ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्रवाई समूह (आरयूटीएजी),साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एंड सिक्योरिटी (एसईटीएस) ,अनुसंधान संस्थानों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) जैसी पहल शामिल हैं।
समयावधि
(11 नवम्बर 1936-5 जनवरी 2025)
पुरस्कार
1975-पद्म श्री
1999-पद्म विभूषण
क्षेत्र
भौतिक विज्ञान
संस्थान
परमाणु ऊर्जा आयोग (भारत),
परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई,
परमाणु ऊर्जा विभाग,
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी,
